1960 में हुई सिंधु जलसंधि को तत्काल प्रभाव से स्थगित

भारत ने बुधवार को पाकिस्तान के साथ 1960 में हुई सिंधु जलसंधि को तत्काल प्रभाव से स्थगित करने का फैसला किया है। जम्मू-कश्मीर के पहलगांव में हुए चरमपंथी हमले के एक दिन बाद यह फैसला किया गया है। इस हमले में 26 लोगों की जान गई और कई लोग जख्मी हुए हैं।

बुधवार को कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी की बैठक के बाद यह फैसला लिया गया। कमेटी की बैठक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अध्यक्षअंग्रेजी अखबार द हिंदू के डिप्लोमेटिक अफेयर्स एडिटर सुहासनी हैदर ने लिखा है भारत ने पाकिस्तान को लेकर अहम फैसले लिए हैं लेकिन यह बिल्कुल अति में नहीं है जैसे भारत ने पाकिस्तानी मिशन छोटा कर दिया लेकिन बंद नहीं किया सिंधु जल संधि को स्थगित किया है लेकिन निरस्त नहीं किया है ब्रिटिश पत्रिका द इकोनॉमिस्ट के डिफेंस एडिटर शशांक जोशी ने लिखा है भारत अगर पाकिस्तान के खिलाफ कार्रवाई का फैसला करता है तो कुछ संभावित विकल्प है भारतएयर स्ट्राइक कर सकता है।

2016 की तरह स्पेशल सैन्य ऑपरेशन चला सकता है। मिसाइल के इस्तेमाल से बचेगा। एलओसी पर युद्ध विराम खत्म हो सकता है। टारगेट करके लोगों को मारने का विकल्प भी हो सकता है। इन सब के बीच सिंधु जलसंधि को स्थगित करने के फैसले की पाकिस्तान में सबसे ज्यादा चर्चा है। पाकिस्तान के विदेश मंत्री और उप प्रधानमंत्री इसहाक डार ने पाकिस्तानी मीडिया से बातचीत में कहा है कि भारत इस तरह से एक तरफा फैसला नहीं कर सकता है।

जहागदार ने पाकिस्तानी न्यूज़ चैनल समा टीवी से बातचीत में कहा कि सिंधु जलसंधि को लेकर भारत पहले से ही जमा है। पानी रोकने के लिए इन्होंने कुछ वाटर रिजर्व भी बनाए हैं। इसमें विश्व बैंक भी शामिल है और यह संधि बाध्यकारी है। समा टीवी के ही एक शो में एक पाकिस्तानी एक्सपर्ट ने कहा भारत ने संधि को स्थगित कर दिया है लेकिन उसके बाद पाकिस्तान क्या एक्शन लेगा? मिसाल के तौर पर कोई भी एक्शन नहीं करते हैं तो फिर इसका कोई मतलब नहीं है।

भारतने पाकिस्तान के उच्चायुक्त रहे अब्दुल बासित ने डॉन न्यूज़ से कहा कि सिंधु जलसंधि पर भारत एक तरफा फैसला नहीं ले सकता। अभी भारत ने इसे स्थगित किया है लेकिन हमें फौरी तौर पर कुछ ठोस फैसले लेने होंगे। हमें वर्ल्ड बैंक को लिखना चाहिए क्योंकि वही इसकी गारंटी देता है। राजनयिक संबंध को लेकर फैसले पर जैसे को तैसा जवाब दिया जा सकता है। अब्दुल बासित ने कहा कि जब पठानकोट हुआ था तो मैं भारत का उच्चायुक्त था। तभी उडी भी हुआ था। मेरा अनुभव है कि हमें पैनिकमें नहीं आना है।

वाघा बॉर्डर अफगानिस्तान के लिए खुला था। अब देखना होगा कि क्या अफगानिस्तान में भी भारत सामान भेजना बंद कर देगा।

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